जिला परिषद व पंचायत समिति चुनाव: भाजपा के पास खोने के लिए खास नहीं... इन चुनावों के पार्टी के लिए क्या मायने?
पंजाब में जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के पास खोने के लिए कुछ खास नहीं है लेकिन ग्रामीण इलाकों में अपनी सियासी पकड़ मजबूत करने का बड़ा मौका है। पहली बार भारतीय जनता पार्टी यह चुनाव अकेले लड़ रही है। हाईकमान की हरी झंडी के बाद भाजपाइयों की टीमें जोश से गांवों में सक्रिय हो चुकी हैं। भाजपा ने 1000 से अधिक पंचायत समिति और 200 से अधिक जिला परिषद सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि उनके बहुत से प्रत्याशियों को परचा भरने से रोका गया, अन्यथा यह आंकड़ा इससे अधिक होता। ग्रामीणों के बीच अपने पकड़ बनाने के इरादे से पंजाब में आई बाढ़ के दौरान एक विशेष रणनीति के तहत गांव-दर-गांव पीड़ितों तक राहत सामग्री पहुंचाकर भाजपाइयों ने लोगों से जुड़ने का प्रयास किया। जालंधर में आठ वेयरहाउस बनाए गए और विभिन्न भाजपा शासित राज्यों से भारी मात्रा में राहत सामग्री यहां एकत्रित की गई। उसके बाद ग्रामीण हलकों में सक्रिय स्थानीय भाजपा नेताओं के जरिये बाढ़ पीड़ितों की फेहरिस्त तैयार कर उनकी जरूरतों के मुताबिक वेयरहाउसों से राहत सामग्री ग्रामीणों तक पहुंचाई गई। चुनाव प्रचार के दाैरान ग्रामीणों को यह भी बताया जाएगा कि पंजाब सरकार यदि केंद्र का सहयोग करते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों की फसलों का बीमा करवा देती तो बाढ़ पीड़ित किसानों को इसका बड़ा लाभ मिलता। गांवों में विशेष शिविर लगाकर ग्रामीणों से केंद्रीय योजनाओं का लाभ लेने के लिए सीधे ऑनलाइन आवेदन करवाए गए। बाद में इन शिविरों पर विवाद हुआ और पंजाब पुलिस ने इन शिविरों को रुकवाकर भाजपा नेताओं को हिरासत में लिया।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 08, 2025, 20:24 IST
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