Bihar Election: चौखट-घूंघट से बाहर निकलकर महिलाओं ने डाला वोट, नक्सलियों के गढ़ में हुई जमकर वोटिंग

बिहार विधानसभा चुनाव के द्वितीय चरण की वोटिंग के दौरान मतदाताओं में भारी उत्साह दिखा। कई जगहों में बंपर वोटिंग हुई। नक्सलवाद के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में भी जमकर वोटिंग हुई। शिवहर सीट के अंतर्गत नक्सल प्रभावित क्षेत्र लक्ष्मीनिया, रामवन और रोहुआ में आने वाले पोलिंग बूथ पर मतदाताओं ने बेखौफ होकर वोटिंग की। शिवहर में महिला वोटर की संख्या 140739 हैं और यहां करीब 48 बूथ संवेदनशील घोषित किए गए हैं, जहां पर इस पर शाम 5:00 बजे तक 67.31% वोटिंग हुई है। पिछले कई वर्षों से नक्सल प्रभावित इलाकों में आने वाले पोलिंग बूथों पर वोटिंग प्रतिशत थोड़ा कम होता था। नक्सलियों के गढ़ में हुई जमकर वोटिंग इस बार चौखट-घूंघट से बाहर निकलकर वोट किया गया। हालांकि, धीरे-धीरे बदलते माहौल में खासकर नक्सली इलाकों में चुनाव के दिन अब लोग खुलकर घर से बाहर निकले और वोटिंग की। पुरुष तो छोड़िए महिलाओं ने भी घरों से निकलकर वोट किया। एक वक्त था जब घर के चौखट के अंदर ही महिलाएं रहती थीं और वोटिंग करने नहीं जाती थीं, लेकिन बदलते दौर में नक्सली इलाकों में भी महिलाओं ने चौखट से और घूंघट से बाहर निकलकर वोट किया। विकास के नाम पर पड़ा वोट शिवहर में विकास और स्थायी सरकार के नाम पर मतदाताओं ने जमकर वोटिंग की। खासतौर पर महिला मतदाताओं में मतदान को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। लोगों ने कहा कि अब बिहार बदल रहा है और यही बदलाव मतदान प्रतिशत में भी नजर आ रहा है। मतदाताओं का कहना है कि एक समय था जब लोग वोटिंग के प्रति उदासीन थे और मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंचते थे, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। ग्रामीण इलाकों में भी लोगों में लोकतंत्र के इस पर्व को लेकर गजब का जोश है। पढे़ं:मतदान के बहिष्कार का लगा पोस्टर, जानें क्यों पूर्णिया के ग्रामीणों ने यहां उठाया ये कदम महिलाओं में दिखा उत्साह नक्सल प्रभावित इलाकों में भी महिलाएं मतदान के लिए बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकलीं। झिटकहिया निवासी गुड़िया देवी ने कहा, “अब वोट देने में कोई दिक्कत नहीं होती है। हम खुलकर घर से निकलते हैं और अपने मन से मतदान करते हैं। वहीं, लक्ष्मीनिया निवासी राधेश्याम कुमार गुड्डू ने कहा, “एक वक्त था जब इस लाल इलाके में लोग वोटिंग के प्रति रुचि नहीं रखते थे, लेकिन अब पूरा माहौल बदल गया है। अब यहां शांति है, हिंसा नहीं है। लोग बिना किसी डर के मतदान कर रहे हैं।” नक्सल घटना की यादें अब भी ताजा गौरतलब है कि वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव से ठीक एक दिन पहले नक्सलियों ने झिटकहिया पुल के पास डायनामाइट लगाकर पुलिस जीप को उड़ा दिया था। इस घटना में तत्कालीन थाना अध्यक्ष प्रवीण कुमार सिंह सहित नौ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। उस घटना के बाद से यह इलाका लंबे समय तक नक्सल प्रभावित माना जाता रहा, लेकिन अब यहां के लोगों में भय नहीं, बल्कि लोकतंत्र के प्रति आस्था दिखाई दे रही है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 11, 2025, 18:04 IST
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