Bihar: जेपी नड्डा ने किया NDA की निर्णायक जीत का दावा, राहुल पर लगाया डीप स्टेट के जरिए अराजकता फैलाने का आरोप

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने बिहार चुनाव में एनडीए की निर्णायक जीत का दावा किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को इसका आधार बताया। नड्डा ने कहा कि बिहार का चुनाव अब एकतरफा हो चुका है, जहां जनता विकास और राजनीतिक स्थिरता की निरंतरता के लिए वोट कर रही है। उन्होंने रिकॉर्ड वोटिंग को भी इसी स्पष्ट जनादेश का संकेत बताया। साथ ही कहा कि बिहार जो भी होगा वह नीतीश कुमार के नेतृत्व में होगा। नड्डा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर सबसे घातक राजनीतिक हमला करते हुए कहा कि वह मोदी का विरोध करते-करते देश का विरोध करने लगे हैं, और संवैधानिक संस्थाओं पर लगातार सवाल उठाकर देश में अराजकता का माहौल पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने राहुल गांधी पर 'डीप स्टेट' के एजेंडे को आगे बढ़ाने का गंभीर आरोप लगाया और उन्हें एक 'नॉन सीरियस प्लेयर' कहकर खारिज कर दिया, क्योंकि वह अपने आरोपों के समर्थन में कोई प्रमाण या शिकायत दर्ज नहीं कराते। बिहार चुनाव के प्रथम चरण के मतदान के दौरान अमर उजाला के राजकिशोर को दिए विशेष साक्षात्कार में राहुल से लेकर तेजस्वी तक तीखा हमला बोला। नड्डा ने विपक्ष के युवा चेहरों को 'शहजादों का टोला' बताते हुए जमीन से कटा हुआ बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा कैडर-आधारित, वैचारिक पार्टी है और मोदी जी उसके सबसे विश्वसनीय नेता हैं। अध्यक्ष ने यह भी पुष्टि की कि राज्यों के चुनाव के बाद पार्टी में संगठनात्मक चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएगे। मतलब बिहार चुनाव के बाद भाजपा को नया अध्यक्ष मिल सकता है। प्रश्न: नड्डा जी, भाजपा में आपको एक 'लकी मैस्कॉट' माना जाता है। बिहार में भी आपका सौभाग्य साथ देगा.. उत्तर: देखिए, इसे केवल सौभाग्य की बात नहीं है। सभी कार्यकर्ता मेहनत करते हैं, लेकिन मुख्य बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में जनता का अटूट विश्वास है। बिहार में भी मुझे यह चुनाव अब एकतरफा दिख रहा है। लोगों ने विकास को, स्थिरता को और 'विकसित बिहार' के लिए अपना मन बना लिया है। वे विकास के क्रम में निरंतरता के साथ स्थिरता चाहते हैं। इसीलिए एक बार फिर नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में एनडीए को जनादेश मिलेगा। प्रश्न:रिकॉर्ड वोटिंग की खबरें हैं। आमतौर पर जब ज्यादा वोटर निकलते हैं तो कई बार एंटी-एस्टैब्लिशमेंट होता है। भले ही भाजपा ने इस मिथक को कई बार तोड़ा हो, लेकिन बिहार के पिछले इतिहास को देखते हुए क्या यह ट्रेंड कोई चिंता पैदा कर रहा है उत्तरः (तपाक से आत्मविश्वास के साथ बोलते हैं..) नहीं, बल्कि हमें खुश कर रहा है। लोगों ने एकतरफा मन बना लिया है कि बिहार में स्टेबिलिटी के साथ विकास का क्रम चलता रहे। वे स्पष्ट हैं, कोई अधूरा मैंडेट नहीं देंगे, बल्कि पूरा मैंडेट देंगे। हम नीतीश जी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं, और नीतीश जी के नेतृत्व में ही हम आगे चलेंगे। राहुल गांधी डीप स्टेट के हाथों में खेल रहे प्रश्न: बिहार में अगर विपक्ष की तरफ से एकजुटता नहीं दिखी तो एनडीए में भी नेतृत्व को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रही। नीतीश जी की चुप्पी पर महागठबंधन ने खूब सवाल उठाए। ये भ्रम की स्थिति बनी कि वह चेहरा नहीं होंगे। क्या आप इस मतदान के बाद स्पष्ट कर सकते हैं कि नीतीश जी ही मुख्यमंत्री बनेंगे उत्तर :( एक लाइन में जवाब) नीतीश जी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जा रहा है, और नीतीश जी के नेतृत्व में ही हम आगे चलेंगे। प्रश्न : अब राष्ट्रीय राजनीति पर। राहुल गांधी लगातार युवाओं से सड़कों पर आने की अपील कर रहे हैं और संवैधानिक संस्थाओं पर आरोप लगा रहे हैं। वह देश की संस्थाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं, आप इसे कैसे देखते हैं उत्तर : राहुल गांधी इतने हताश हो चुके हैं कि वह मोदी जी का विरोध करते-करते अब देश का विरोध करने लगे हैं। चाहे वह सर्जिकल स्ट्राइक हो या हमारे देश की संवैधानिक संस्थाएं, सब पर वह प्रश्न उठा रहे हैं। वह देश से बाहर भी भारत के प्रजातंत्र पर चोट पहुंचा चुके हैं। उनकी सोच और कार्यप्रणाली वामपंथियों से प्रभावित है। वह देश में अराजकता का माहौल बनाना चाहते हैं। वह अज्ञानता में 'डीप स्टेट' के एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। प्रश्नः नड्डा जी आपको नहीं लगता कि यह राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। वह संवैधानिक संस्थाओं पर आरोप लगा रहे, सरकार पर वोट चोरी की बात कह रहे हैं। यह गंभीर बात नहीं उत्तरः राहुल देश विरोधी ताकतों के साथ हैंयानी उन ताकतों का जो देश को तकलीफ में डालती हैं। यह एक जिम्मेदार पद पर बैठे हुए व्यक्ति का गैर-जिम्मेदाराना रवैया है। वह किसी भी बात का कोई प्रमाण नहीं देते। वह इलेक्शन कमीशन में कोई मेमोरंडम या एफिडेविट नहीं देते। इसीलिए, राहुल गांधी को सीरियसली लेता कौन है वह एक 'नॉन सीरियस प्लेयर' हैं। प्रश्नः लेकिन यह बार-बार जब कोई बात लगातार कोई कहता चला जाता है, तो लोग यकीन करने लगते हैं। उनको लगता है कि कार्रवाई क्यों नहीं हो रही वो चुनौती देते हैं। वी.पी. सिंह जेब से एक पर्ची निकालते थे और जनता ने भरोसा कर लिया था। आज की तारीख में वो कागज ज्यादा दिखा रहे हैं और उस पर कोई कार्रवाई भी नहीं होती है। क्या संवैधानिक संस्थाओं की तरफ से उपयुक्त कार्रवाई न होने पर जनता के मन में कुछ प्रश्न बने रहेंगे उत्तर: देखिए, प्रश्न उठाने वाला कौन है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। आपने वी.पी. सिंह का नाम दिया, वो वो शख्स था जिसने मिनिस्ट्री से इस्तीफा दिया। उनकी गंभीरता पर कोई सवाल नहीं था। लेकिन राहुल गांधी को सीरियसली लेता कौन है ये अगर सीरियस होते तो इलेक्शन कमीशन के पास मेमोरंडम देते कि नहीं देते एफिडेविट पर देते कि नहीं देते तो ये 'नॉट सीरियस प्लेयर' हैं। वैसे भी, क्या वो इस चुनाव के बाद विदेश नहीं जाएँगे ये सब 'मुंगेरीलाल के हसीन सपने' हैं। प्रश्नः एक बात लगातार वह देख रहा हूँ कि वह युवाओं के बीच में जब जेन-जी की बात निकले, वह बार-बार उनको यह बताने और जतने की कोशिश है कि 'देखिए मैं भी युवा हूँ'। तेजस्वी ने भी टी-शर्ट पहन लिया। क्या जो बताने और जतने की कोशिश हो रही है कि भारतीय जनता पार्टी में अब उतने युवा लोग नहीं हैं, यहाँ पर बुजुर्ग हैं, तो क्या आपको लगता है कि जनता के मानस में इसका कुछ फर्क पड़ सकता है उत्तर : कोई ऐसा नहीं है। ये युवाओं को कहीं टच नहीं कर रहे हैं। यह सिर्फ 'शहजादों का टोला' है। इनका देश को जीते हैं। कोई जमीन से कोई रिश्ता-नाता नहीं। कूद करके मछली नहीं पकड़ी जाती है! ये सब लोग मुद्दों पर कभी न इनकी सीरियसनेस है, न इनका थॉट प्रोसेस है, न ही इनको आम गरीब आदमी को मजबूत सशक्त बनाने का कोई इरादा है। प्रश्न : लेकिन यह बार-बार जब कोई बात लगातार कोई कहता चला जाता है तो लोग यकीन करने लगते हैं। वी.पी. सिंह जेब से एक पर्ची निकालते थे और जनता ने भरोसा कर लिया था। आज राहुल गांधी जो कागज दिखा रहे हैं, उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। क्या संवैधानिक संस्थाओं की तरफ से कार्रवाई न होने पर जनता के मन में कुछ प्रश्न बने रहेंगे उत्तर : प्रश्न उठाने वाला कौन है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। राहुल गांधी को सीरियसली लेता कौन है ये अगर सीरियस होते तो इलेक्शन कमीशन के पास मेमोरंडम देते कि नहीं देते एफिडेविट पर देते कि नहीं देते तो ये 'नॉट सीरियस प्लेयर' हैं। प्रश्न: तेजस्वी कह रहे हैं कि शपथग्रहण समारोह में सबको बुलाएंगे.. तो जाएंगे आप लोग अगर वे बुलाते हैं.. उत्तर : ये सब 'मुंगेरीलाल के हसीन सपने' हैं। राहुल अभी विदेश गए थे और चुनाव के बाद फिर विदेश जाएंगे घूमने के लिए। संगठनात्मक चुनाव और विचारधारा प्रश्नः अब थोड़ा सा मैं संगठन के लिहाज से अगर आऊँ कि आप लंबे समय से पार्टी अध्यक्ष हैं और नए अध्यक्ष की तलाश को लेकर बात चल रही है। अब बिहार का चुनाव हो गया है, तो संगठनात्मक चुनाव कब तक होंगे उत्तर: संगठन के चुनाव की प्रक्रिया पूरी है। यहाँ के चुनाव के बाद तुरंत हम राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। उससे पहले यू.पी., हरियाणा और अन्य बड़े राज्यों के संगठनात्मक चुनाव होने हैं। यह जल्द से जल्द होगा। प्रश्न : क्या विचार प्रधान पार्टी से भारतीय जनता पार्टी 'चेहरा प्रधान पार्टी' हो गई है, जहाँ प्रधानमंत्री मोदी, आप और अमित शाह जी की 'तिकड़ी' की बात होती है उत्तर: नहीं, ऐसा नहीं है। हमारी पार्टी एक कैडर बेस्ड पार्टी है, आइडियोलॉजिकल बेस्ड पार्टी है, मास फॉलोइंग की पार्टी है। यह निश्चित रूप से किसी के नेतृत्व में चलती है। प्रधानमंत्री मोदी जी सबसे विश्वसनीय चेहरा हैं। देश ही नहीं, दुनिया में उनकी साख बोलती है। यह हमारा सौभाग्य है कि हमारी पार्टी का नेता इतना लोकप्रिय है। नीतीश कुमार का नेतृत्व प्रश्न : अगर एनडीए, 2010 का भी रिकॉर्ड तोड़ता है और नीतीश जी की शारीरिक सक्रियता को देखते हुए, क्या ऐसा हो सकता है कि नीतीश जी खुद ऑफर करें कि अब युवा नेतृत्व को सामने आना चाहिए उत्तर: ऐसा नहीं है। हम उनके ही नेतृत्व में आगे बढ़ेंगे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 06, 2025, 17:54 IST
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