Bhopal: OBCआरक्षण पर सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक,विपक्ष का एतराज,PCC चीफ बोले-विवाद ही नहीं तो फिर क्या जरूरत

मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27% आरक्षण देने का मामला कोर्ट में चल रहा है। आरक्षण को लेकर एमपी सरकार ने 28 अगस्त को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक को लेकर कांग्रेस ने ऐतराज जताया है। भोपाल में कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, पिछले 6 साल से शिवराज सिंह चौहान और मोहन यादव की सरकार के कारण ओबीसी को 27% आरक्षण का मामला अटका हुआ है।कमलनाथ सरकार में ओबीसी को 27% आरक्षण देने का अध्यादेश विधानसभा में लाए थे। इसका कानून बन गया। हम चाहते हैं कि ओबीसी को 27% आरक्षण बिना देरी मिले। मुख्यमंत्री भी ऐसे बयान देते हैं कि वो भी ओबीसी को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हैं तो जब इस मामले में कोई विवाद ही नहीं हैं तो सर्वदलीय बैठक की क्या जरूरत है। सरकार सुप्रीम कोर्ट में दो दिनों के भीतर हलफनामा दे और केस वापस ले। सर्वदलीय बैठक मात्र दिखावा नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि ओबीसी समाज को केवल छलावा और जुमले दिए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं जातिगत जनगणना को अर्बन नक्सल कहकर भाजपा की मानसिकता जाहिर कर दी है।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा बुलाई गई 28 अगस्त की सर्वदलीय बैठक मात्र दिखावा है। अगर सरकार की नीयत साफ है तो तत्काल आदेश जारी कर 27% आरक्षण लागू किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट बार-बार सरकार से पूछ रहा है कि नियुक्तियां क्यों रोकी गईं। यह भी पढ़ें-भोपाल मेट्रो के अंतिम परीक्षण की तैयारियां तेज, सुरक्षा का जिम्मा SAF मेट्रो कंपनी को सौंपा जाएगा सुप्रीम कोर्ट जाएगी कांग्रेस जीतू पटवारी ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में हमारी ओर से ओबीसी वर्ग का पक्ष रखने के लिए सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी और विवेक तन्खा मौजूद रहेंगे। अब कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का केस भी दायर करेगी। जिन अधिकारियों और जिम्मेदारों ने ओबीसी वर्ग का 27 प्रतिशत आरक्षण लागू नहीं होने दिया। उनके खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। यह भी पढ़ें-कटारा हिल्स में 13 साल की छात्रा ने फंदा लगाकर की आत्महत्या, नहीं मिला सुसाइड नोट हर पेशी में 25 लाख लेते हैं वकील जीतू पटवारी ने कहा कि शिवराज और मोहन सरकारों ने पिछले छह साल में वकीलों पर करीब सौ करोड़ रुपए खर्च किए हैं। सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता को एक पेशी के 25 लाख रुपए दिए गए। चाहे उस तारीख पर बहस हुई हो या नहीं। एक दूसरे वकील को हर पेशी पर 22 लाख रुपए दिए गए। वकीलों की टीम को अलग-अलग राशि दी गई।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 26, 2025, 12:16 IST
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