Bhartendu Harishchandra Poetry: नींद आती ही नहीं धड़के की बस आवाज़ से

नींद आती ही नहीं धड़के की बस आवाज़ से तंग आया हूँ मैं इस पुर-सोज़ दिल के साज़ से दिल पिसा जाता है उन की चाल के अंदाज़ से हाथ में दामन लिए आते हैं वो किस नाज़ से सैकड़ों मुर्दे जलाए हो मसीहा नाज़ से मौत शर्मिंदा हुई क्या क्या तिरे एजाज़ से बाग़बाँ कुंज-ए-क़फ़स में मुद्दतों से हूँ असीर अब खुले पर भी तो मैं वाक़िफ़ नहीं पर्वाज़ से क़ब्र में राहत से सोए थे न था महशर का ख़ौफ़ बाज़ आए ऐ मसीहा हम तिरे एजाज़ से

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 05, 2023, 18:54 IST
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