Bharat Jodo Yatra: क्या कश्मीर में बुलेटप्रूफ वाहन में बैठेंगे राहुल, बढ़ेगी बैलेस्टिक शील्ड और जैमर की संख्या

भारत जोड़ो यात्रा, 19 जनवरी को जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करेगी। उसके बाद राहुल गांधी, श्रीनगर पहुंचकर तिरंगा फहराएंगे। इस बीच सुरक्षा एजेंसियों ने भारत जोड़ो यात्रा को लेकर एक अहम अलर्ट जारी किया है। उसमें सलाह दी गई है कि कश्मीर के कुछ हिस्सों में राहुल गांधी पैदल न चलें। वे किसी बुलेटप्रूफ वाहन में सवार होकर यात्रा कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि राहुल की सुरक्षा के मद्देनजर, जम्मू कश्मीर पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों की बैठक हुई है। यात्रा अपने रूट प्लान यानी उधमपुर, कठुआ, सांबा, बनिहाल और अनंतनाग के रास्ते श्रीनगर पहुंचेगी। जोखिम वाले रास्तों पर राहुल के चारों तरफ बना 'डी' घेरा, कम किया जा सकता है। अब राहुल के करीब, जितने कार्यकर्ता चलते हैं, उनकी जगह सुरक्षा बल ले लेंगे। रूट को सैनिटाइज करने के बाद राहुल गांधी की सुरक्षा में लगी 'सीपीटी' यानी क्लोज प्रोटेक्शन टीम के सदस्यों एवं 'बैलेस्टिक' शील्ड की संख्या बढ़ा दी जाएगी। ड्रोन अटैक के मद्देनजर जैमर की क्षमता में और ज्यादा हिजाफा हो सकता है। पंजाब के होशियारपुर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मंगलवार को भी एक व्यक्ति, सुरक्षा घेरे को तोड़ता हुआ राहुल गांधी के गले लग गया। सुरक्षा कर्मियों ने उसे तुरंत घेरे से बाहर कर दिया। हालांकि बाद में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा, दो लोगों को राहुल गांधी ने मिलने के लिए बुलाया था। सुरक्षा में कहीं कोई चूक नहीं हुई है। बाद में राहुल गांधी ने प्रेसवार्ता के दौरान पूछे गए एक सवाल के जवाब में सुरक्षा चूक होने से इनकार कर दिया। कई लोग, उनसे मिलने के लिए उत्सुक रहते हैं। अति उत्साह में ऐसा हो जाता है। सब कुछ सुरक्षा नियमों के तहत होता है। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों का कहना है, कश्मीर में राहुल गांधी की हिफाजत को लेकर सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। कुछ रास्तों पर राहुल को बुलेटप्रफ वाहन में चलने की सलाह दी गई है। इस बाबत अभी तक कांग्रेस पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि राहुल गांधी, वाहन में बैठेंगे या नहीं। सुरक्षा एजेंसियों ने जोखिम वाले रास्तों पर अतिरिक्त सुरक्षा कर्मी तैनात किए हैं। विशेषकर, पहाड़ी इलाके में स्नाइपर भी तैनात किए जा सकते हैं। अनंतनाग के आसपास कई दूसरे सुरक्षा इंतजाम भी किए जा रहे हैं। संभव है कि कश्मीर के रास्ते पर राहुल के आसपास बना घेरा यानी 'डी' का आकार कम किया जा सकता है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एक टीम रस्सी के जरिए 'डी' तैयार करती है। उसमें सुरक्षा कर्मी और राहुल के करीबी शामिल रहते हैं। यात्रा शुरू होने से लेकर अब तक 'डी' का दायरा बदलता रहा है। 'डी' का आकार काफी हद तक राज्य पुलिस के सहयोग पर निर्भर करता है। अगर, वहां पर्याप्त पुलिस कर्मी हैं तो 'डी' का आकार बढ़ा हो जाता है। यानी, उसमें राहुल के साथ चलने वाले और मिलने वाले लोगों की संख्या बढ़ जाती है। किसी राज्य में पुलिस बल, कम है तो 'डी' का दायरा कम कर दिया जाता है। सूत्रों के मुताबिक, सुरक्षा कर्मियों के पास जो 'बैलेस्टिक' शील्ड होती है, उनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। संभव है कि राहुल के आसपास चार-पांच 'बैलेस्टिक' शील्ड वाले सुरक्षा कर्मी चलते हुए नजर आएं। वीवीआईपी की सुरक्षा के दौरान इस शील्ड का इस्तेमाल, एक ढाल की तरह किया जाता है। हमले के दौरान 'बैलेस्टिक' शील्ड के जरिए गोलियों की बौछार को रोका जा सकता है। एक 'बैलेस्टिक' शील्ड में दो से तीन परतें होती हैं। हमले की स्थिति में सुरक्षा कर्मी, वीआईपी के चारों तरफ इस ढाल को खोल कर बैठ जाते हैं। भारतीय सुरक्षा बलों के पास मौजूद शील्ड पर डबल फोल्ड लॉक नहीं होता। इसे बहुत ही सामान्य तरीके से एक झटके में खोला जा सकता है। कश्मीर में ड्रोन अटैक या कोई दूसरा हमला, जिसे काफी दूर से अंजाम दिया जा सकता है, इस बाबत सुरक्षा एजेंसियां रणनीति तैयार कर रही हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 17, 2023, 18:49 IST
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