प्रतिभा कटियार की कविता: ओ अच्छी लड़कियों तुम मुस्कुराहटों में सहेज देती हो दुःख

ओ अच्छी लड़कियों तुम मुस्कुराहटों में सहेज देती हो दुःख ओढ़ लेती हो चुप्पी की चुनर जब बोलना चाहती हो दिल से तो बांध लेती हो बतकही की पाजेब नाचती फिरती हो अपनी ही ख्वाहिशों पर और भर उठती हो संतोष से कि खुश हैं लोग तुमसे ओ अच्छी लड़कियों तुम अपने ही कंधे पर ढोना जानती हो अपने अरमानों की लाश तुम्हें आते हैं हुनर अपनी देह को सजाने के निभाने आते हैं रीति रिवाज, नियम जानती हो कि तेज चलने वाली और खुलकर हंसने वाली लड़कियों को जमाना अच्छा नहीं कहता

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 24, 2023, 16:22 IST
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