UP: काशी में ज्योतिष सम्मेलन का समापन, मंगल, गुरु एवं चंद्रमा के प्रभाव से सुधरेगी भारत की आर्थिक स्थिति

शनि देव वर्तमान में मीन राशि में विद्यमान हैं। इससे भारत का प्रभाव बढ़ेगा। सामरिक रूप से मजबूती मिलेगी। पड़ोसी देशों पर प्रभावशाली बढ़त बरकरार रहेगी। यह कहना है ज्योतिषाचार्य प्रो. सदानंद शुक्ल का। वह रविवार को ज्योतिष विज्ञान समिति की दो दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन के अंतिम दिन बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मंगल, गुरु एवं चंद्रमा के प्रभाव से भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इससे पहले सिगरा स्थित होटल आरके ग्रैंड में ज्योतिष शास्त्र के आलोक में भारत का भविष्य एवं उसका वैश्विक प्रभाव तथा ज्योतिष शास्त्र के रहस्य विज्ञान के पारंपरिक सूत्रों की विवेचना के विषय पर चर्चा हुई। ज्योतिषाचार्यों ने कहा कि भारत के सर्वांगीण सुरक्षा एवं विकास की दिशा में नवग्रहों के सामयिक प्रभाव के ऊपर विवेचना के बाद शुभ ग्रहों के प्रभाव चंद्रमा, बुध, गुरु और शुक्र की विशेष अनुकूलता के सत्प्रभाव से भारत की आर्थिक, राजनैतिक, सामरिक तथा रासायनिक खनिज, औषधीय तथा तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अप्रत्याशित विकास की स्थिति प्राप्त होगी। खनिज एवं औषधीय क्षेत्र में जटिल रोगों के लिए नवीन शोध से सफलता प्राप्त होगी। चंद्रमा के परिवर्तन से जलीय जंतुओं की क्षति तथा आगामी वर्षों में जल से धन-जन की क्षति की स्थिति प्राप्त होगी। पश्चिमी एवं उत्तरी तथा मध्य क्षेत्र में भारत का विकास तथा आर्थिक एवं तकनीकी तथा सामरिक क्षेत्र में परिवर्तन के साथ विशेष वृद्धि एवं अनुकूलता की स्थिति विशेष रहेगी। अन्य कुछ ग्रहों का दुष्प्रभाव भारत के लिए पूर्वी एवं उत्तर की दिशा में सामरिक स्वरूप, धन-जन की आकस्मिक क्षति मध्य एवं दक्षिणी दिशा में राजनयिक एवं खनिज पदार्थों में विशेष रूप से संघर्ष की स्थिति 2032 के पूर्व प्राप्त होगी। स्थानीय लोगों के द्वारा राजनयिक क्षेत्र में उथल-पुथल तथा सबल सत्ता पक्ष की स्थिति विशेष प्रभावशाली एवं सत्ता में पुनः स्थापित होगी। प्रो. सदानंद शुक्ल ने कहा कि संयुक्त ग्रहों के प्रभाव से राजनयिक क्षेत्रों में सामंजस्यता से सफलता प्राप्त होगी। समिति के प्रतिभागियों द्वारा भारत के भविष्य का सार्वभौतिक रूप से बहुत ही सारगर्भित रूप से चिंतन एवं मंथन किया गया। इसका सार यही रहा कि आगे भारत वैश्विक रूप से शिखर पर स्थान रहेगा। साथ ही धातुकीय पदार्थों में वृद्धि की स्थिति रहेगी। सम्मेलन में बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान प्रो. नागेंद्र पांडेय, डॉ. रामेश्वरनाथ ओझा, डॉ. आमोद दत्त शास्त्री, डॉ. संजीव कुमार मिश्रा, आचार्य पवन कुमार त्रिपाठी ने विचार व्यक्त किए।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 13, 2025, 16:47 IST
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