कर्मचारियों के साथ मनमानी और अनुचित रवैया अस्वीकार्य: हाईकोर्ट

-कर्मचारियों को डिमोशन करने पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को लगाई फटकार---अमर उजाला ब्यूरोचंडीगढ़। अमान्य डिप्लोमा के आधार पर कर्मचारियों को वर्षों बाद यहां तक कि सेवानिवृत्ति के पश्चात डिमोशन करने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि सरकार का ऐसा मनमाना और असंगत रवैया संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 की भावना के विपरीत है। यह याचिकाएं जल संसाधन विभाग के उन कर्मचारियों ने दायर की थीं जिन्होंने 25 से 30 वर्षों तक सेवा की थी। इन कर्मचारियों ने 2011 से 2014 के बीच विभाग की अनुमति से डीम्ड यूनिवर्सिटी से सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया था। उन्हें 2019 में जूनियर इंजीनियर पद पर पदोन्नत किया गया लेकिन 4 अक्टूबर 2024 को एक आदेश के माध्यम से उन्हें डिमोट कर दिया गया। आदेश का आधार एआईसीईटी की वह स्पष्टीकरण था जिसमें कहा गया था कि इंजीनियरिंग में ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से किए गए डिप्लोमा मान्य नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार और उसके निकायों से अपेक्षा की जाती है कि वे आदर्श नियोक्ता के रूप में कार्य करें और अपने निर्णयों में निष्पक्षता व सांविधानिक दर्शन का पालन करें। कोर्ट ने कहा कि कुछ याचिकाकर्ता वर्षों तक पदोन्नत पदों पर कार्यरत रहे, कुछ सेवानिवृत्त हो चुके हैं जबकि कुछ अभी भी अदालत के अंतरिम आदेश के तहत सेवा कर रहे हैं। अब उन्हें डिमोट करना और वेतन-भत्तों की वसूली करना अत्यंत कठोर और अनुचित होगा। अदालत ने यह भी कहा कि राज्य इस स्थिति के लिए स्वयं भी जिम्मेदार है और पूरा दोष केवल कर्मचारियों पर नहीं डाला जा सकता। कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता डाइंग कैडर में रखे जाएंगे जो वैध योग्यता वाले कर्मचारियों के नीचे होगा। हालांकि ऐसे कर्मचारियों को आगे कोई नई पदोन्नति या अतिरिक्त सेवा लाभ नहीं मिलेगा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 06, 2025, 20:38 IST
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