प्रकृति को ही विधि मानता था प्राचीन ग्रीक समाज : प्रो. विनोद
सतत समाज हेतु कानून, दर्शन और धर्म के समन्वय पर सुभारती में अंतरराष्ट्रीय विमर्श आयोजितसंवाद न्यूज एजेंसीमेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के सरदार पटेल सुभारती विधि संस्थान में रविवार को सतत वैश्विक समाज के लिए कानूनी दर्शन और धर्म के एकीकृत दृष्टिकोण विषय पर अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।सम्मेलन के मुख्य वक्ता प्रो. विनोद कुमार दीक्षित ने कानून की उत्पत्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राचीन ग्रीक समाज प्रकृति को ही विधि मानता था, जबकि राज्य का कानून संभावनाओं पर चलता है। यह आयोजन संस्थान के निदेशक न्यायमूर्ति राजेश चंद्रा के मार्गदर्शन तथा विधि संकायाध्यक्ष प्रो. वैभव गोयल भारतीय के संरक्षण में सम्पन्न हुआ। कॉन्फ्रेंस में इंडोनेशिया से प्रो. जकियु मुहम्मद, क्रोएशिया से प्रो. एगर वाल्टिक तथा यूक्रेन से प्रो. एवेजिनिया जरिकावा ने अपने विचार रखे। प्रो. वाल्टिक ने यूरोपीय दर्शन पर बात की। प्रो. जरिकावा ने पर्यावरण संरक्षण को कानून से जोड़ने पर बल दिया। बौद्ध धर्म प्रचारक प्रो. फामसन फांग, ईसाई मतावलंबी प्रिया एरिस्टोटल ने भी संबोधन किया। विश्वविद्यालय की कुलाधिपति स्तुति नारायण कक्कड़ ने कहा कि कोई भी धर्म हिंसा या अराजकता को बढ़ावा नहीं देता। कुलपति प्रो. प्रमोद कुमार शर्मा ने बताया कि विधि बाहरी और धर्म आंतरिक रूप से समाज को समावेशी बनाते हैं। न्यायमूर्ति राजेश चंद्रा ने सायरा बानो और सबरीमाला जैसे वादों का जिक्र करते हुए संवैधानिक नैतिकता पर जोर दिया।कार्यक्रम की समन्वयक प्रो. रीना बिश्नोई ने स्वागत भाषण दिया। संचालन इफरा सिद्दीकी व जोया राव ने किया। कॉन्फ्रेंस में प्रो. उषा साहनी, डॉ. कामेश्वर पांडेय, दीपा सैनी, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ग्रुप कैप्टन मुहम्मद याकूब, सुभारती डिफेंस एकेडमी के निदेशक कर्नल राजेश त्यागी का विशेष सहयोग रहा। इस दौरान डॉ. सारिका त्यागी, डॉ. प्रेम चंद्रा, डॉ. आफरीन अल्मास, एना सिसोदिया, सोनल जैन, अरशद आलम, अनुराज चौधरी, आशुतोष देशवाल, हर्षित, प्रो. सरताज अहमद, डॉ. शशिराज तेवतिया आदि मौजूद रहे।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 09, 2025, 19:35 IST
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