आज का विचार: अमृता प्रीतम
लगता है - मैं सारी ज़िंदगी जो भी सोचती रही, लिखती रही, वह सब देवताओं को जगाने का प्रयत्न था, उन देवताओं को, जो इंसान के भीतर सो गए हैं। -अमृता प्रीतम हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 30, 2025, 09:51 IST
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