जलज सक्सेना की अधूरी दास्तां: घरेलू क्रिकेट का बादशाह! मेहनत जिसकी मिसाल बनी; पर भारत के लिए डेब्यू अब भी सपना

भारतीय महिला टीम की ऐतिहासिक विश्वकप जीत के साथ अमोल मजूमदार सभी के चहीते बन गए। खुद कभी नीली जर्सी को तरसे मजूमदार ने वो कर दिखाया जो शायद भारत के लिए खेलने वाले भी नहीं कर पाए। उनकी कोचिंग में भारतीय टीम न सिर्फ फाइनल में पहुंची बल्कि खिताब जीतकर 52 साल से महिला क्रिकेट में चले आ रहे विश्वकप के सूखे को भी खत्म कर दिया। हम यहां आज ऐसे ही खिलाड़ियों की चर्चा करेंगे जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई लेकिन उन्हें कभी भारत की जर्सी पहनने का मौका नहीं मिला। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कुछ नाम ऐसे हैं जो रिकॉर्ड बुक्स में तो अमर हैं, लेकिन भारतीय टीम की जर्सी उन्हें कभी नसीब नहीं हुई। फिर भी, उन्होंने खेल को वही सम्मान दिया, जो एक साधक अपनी साधना को देता है। यही हैं 'अमोल मजूमदार क्लब' के असली सदस्य जिन्होंने मेहनत को मकाम बनाया, भले ही मौका कभी नहीं मिला। इस क्लब की शुरुआत का प्रतीक माने जाते हैं अमोल मजूमदार, जिन्होंने हमें सिखाया कि सफलता केवल कैप से नहीं, चरित्र से मापी जाती है। उन्होंने इंतजार को तपस्या में बदला और उस दौर के हर घरेलू क्रिकेटर के लिए प्रेरणा बने।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 04, 2025, 23:15 IST
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