Amar Ujala Shabd Samman 2022: आकाशदीप विजेता प्रतिभा राय बोलीं- जन के बीच रहकर जनता के लिए लिखते जाना है

पांचवीं कक्षा से ही मैं छोटी-छोटी कविताएं लिखती थी। लता कुंज के लाल फूल, मुस्लिम बस्ती के गरीब बच्चे, मां, सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य मुझे भावुक करते रहते थे। इन सबको देखकर मैं सहज अनुभूति की छोटी-छोटी कविताएं छंद में लिखती थी तब। जब छंद मुक्त कविताओं का दौर आया, तब समय, समाज की दुर्दशा मेरी कविताओं में उतरने लगी। पिता जी मेरी कविताओं के पहले पाठक और आलोचक थे। वे जब कभी मेरी छंद मुक्त कविताओं को पढ़ते तो उसे छंद के बंध में बांधकर वापस करते हुए पूछते, दोनों तुम्हारी ही कविताएं हैं। बताओ, इन दोनों में कौन-सी कविता ज्यादा प्रभाव छोड़ रही है। कुल मिलाकर पिता जी को छंद मुक्त कविताएं बिल्कुल पसंद नहीं थीं। मैं उनकी भावनाओं का सम्मान करती रही सदा। दूसरा यह कि मुझे अपनी बात कहने को जितने बड़े कैनवास की जरूरत थी, उसे कविता विधा में हासिल करना असंभव था, क्योंकि हमारे सामने अनेक घटनाएं घटित होती हैं। सब देखते हैं उनको। मैं भी देखती हूं और बेचैन हो जाती हूं। क्यों कैसे जैसे सवालों से जूझते हुए कई पात्रों से संवाद शुरू हो जाता है। वही घटना, वही संवाद हमें कहानी या उपन्यास रचने को विवश कर देता है। अस्सी के दशक में ओडिशा साहित्य अकादमी का एक आयोजन कोरापुट जनपद में आयोजित हुआ था। मैं आमंत्रित थी उसमें। एक आदिवासी युवक मेरे सामने आया और कहने लगा, आप दुनिया-जहान पर कथा बुनती हैं, मोटे-मोटे उपन्यास लिखती हैं। क्या बोंडा मनुष्य नहीं हैं ओडिया नहीं हैं उनके सुख-दुख को सामने लाने की जरूरत नहीं महसूस करतीं आप कटक से छह सौ किलोमीटर दूर गुस्से में पूछे गए उस आदिवासी युवक के सवालों को टालते हुए सिर्फ इतना कहकर घर लौट आई मैं कि एक-दो किताबें और छिटपुट लेख लिखकर बोंडा लोगों का सुख-दुख नहीं समेट सकती। किंतु उस युवक के प्रश्नों से बेचैन रहने लगी मैं। अंततः मन का निर्णय सामने आ गया, जाना चाहिए बोंडा लोगों के बीच। घर के लोगों ने मना किया कि मत जाओ, बहुत हिंसक होते हैं बोंडा, मारा-मारी करते हैं, बहुत दुष्कर है वहां जीवन। लेकिन मैंने सबको मना लिया। गांवों में घूमती रही, बोंडा लोगों के मनोविज्ञान का अध्ययन करते रही। और फिर महसूस हुआ कि जीवनपर्यंत इसी रूप में लिखते रहना चाहिए।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 29, 2023, 05:42 IST
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