Bareilly: कमल-दवात पुरानी बात... अब लगती है स्मार्ट क्लास, पढ़ें- शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धियों का सफर

बरेली ने शिक्षा के क्षेत्र में 54 वर्षों में काफी बदलाव देखे हैं। इस दौरान शहर ने सैकड़ों स्कूल कॉलेज हासिल किए। सीखने और पाने का दौर भी जारी है। स्याही-दवात से सालों पहले शुरू हुआ सफर अब स्मार्ट क्लास तक पहुंच चुका है। हर युवा के पास स्मार्ट फोन पहुंचा तो शिक्षा आसान और सर्वसुलभ बन गई। तकनीकी ने विभागीय कार्यवाही को भी आसान और पारदर्शी बनाया। बदलाव जो मील का पत्थर साबित हुए - 1971 में वेतन वितरण अधिनियम आने पर शहर के एडेड विद्यालयों में तैनात शिक्षकों ने हर्ष जताया। इस अधिनियम के बाद एडेड के शिक्षकों को सरकार की ओर से वेतन दिया जाने लगा। - 1981 में शहर में माध्यमिक शिक्षा परिषद का मंडलीय कार्यालय बना। कार्यालय में 1986 से काम की शुरुआत हुई। इसके साथ ही बोर्ड संबंधित प्रशासनिक कार्यों में सुविधा होने लगी। उपलब्धियां सर्व शिक्षा अभियान, समग्र शिक्षा अभियान, स्कूल चलो अभियान आदि अभियानों से साक्षरता दर सत्तर फीसदी के करीब पहुंच गई। शहर को 54 सालों में 2483 परिषदीय विद्यालय और 433 माध्यमिक विद्यालय मिले। फट्टे पर चलने वाली कक्षाओं ने बढ़िया फर्नीचर को अपनाया। जीवन स्तर में बदलावों के साथ-साथ शैक्षिक स्तर भी सुधरा। बच्चों तक बुनियादी शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए नई शिक्षा नीति के तहत निपुण लक्ष्य जारी किए गए। अब तक जिले के 78 फीसदी विद्यालय निपुण लक्ष्य हासिल कर चुके हैं। इस साल इन्हें सौ फीसदी विद्यालयों में पहुंचाने का लक्ष्य विभाग की ओर से रखा गया है। आज जिले के 1696 विद्यालयों में स्मार्ट कक्षाएं संचालित हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 17, 2023, 17:42 IST
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