वायु सैनिक हत्या मामला: यासीन मलिक की मुख्य गवाह से जिरह करने पर अदालत ने लगाई रोक

श्रीनगर में एयरफोर्स कर्मियों की हत्या मामले में आतंकी एवं अलगाववादी नेता यासीन मलिक की मुख्य गवाह से जिरह करने पर रोक लगा दी गई है। यासीन मलिक ने मुख्य गवाह बीके शर्मा से कोर्ट में उपस्थित होकर जिरह करने की मांग उठाई थी। यासीन मलिक पर एक साल तक जेल से बाहर जाने पर रोक है, इसलिए अदालत ने उसकी यह मांग खारिज कर दी। इस समय यासीनमलिक दिल्ली की तिहाड़ जेल में है। वर्ष 1990 में वायुसेना के 4 कर्मियों की हत्या कर दी गई थी। तब यासीन मलिक जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का मुखिया था। जेकेएलएफ के आतंकियों ने यह हत्या की थी। इस मामले में बीके शर्मा मुख्य गवाह हैं, जिन्होंने यासीन को पहचाना था कि वह इस हत्या में शामिल था। सीबीआई की वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका कोहली का कहना है कि इस मामले में यासीन के खिलाफ सुनवाई चल रही है। अदालत ने मुख्य गवाह बीके शर्मा से यासीन को जिरह करने के लिए पूछा। कहा कि क्या वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मुख्य गवाह से जिरह करना चाहेंगे। इस पर यासीन ने इंकार कर दिया। दोबारा से अपनी पूर्व में की गई मांग को दोहराया। मोनिका ने कहा कि यासिन ने अदालत का आदेश नहीं मानते हुए मांग कर दी। इस पर अदालत ने उसके जिरह के अधिकार को बंद कर दिया। उल्लेखनीय है कि 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर के रावलपोरा में यासीन मलिक और उसके अन्य साथियों ने स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना और तीन अन्य वायु सेना कर्मियों की हत्या कर दी थी। इन आतंकियों में यासीन मलिक भी था। इसकी पहचान बीके शर्मा ने की है। शर्मा ने सीबीआई और अदालत के मुख्य परीक्षक के सामने यासीन की पहचान की थी। यासीन टेरर फंडिंग के मामलों में भी शामिल है। इसे लेकर एनआईए के पास मामला दर्ज है। एनआईए के पास लंबित मामलों के कारण 22 दिसंबर, 2022 को यासिन के जेल से बाहर जाने पर एक साल का प्रतिबंध लगा दिया था।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 23, 2023, 19:49 IST
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