तकनीक के क्षेत्र में वर्चस्व का शीतयुद्ध: क्या सेमीकंडक्टर वॉर में आगे निकल जाएगा चीन?

औद्योगिक क्रांति ने कई नई विचारधाराओं को जन्म दिया। अगर औद्योगिक क्रांति की शुरुआत नहीं हुई होती, तो शायद ही आधुनिक विश्व पटल पर कम्युनिज्म और पूंजीवाद जैसी विचारधाराएं जन्म ले पातीं। इस क्रांति ने एक ऐसी पृष्ठभूमि का निर्माण किया, जिसके चलते कई नई खोजों को अंजाम दिया गया। आज के इस आधुनिक युग की रूपरेखा तैयार करने में औद्योगिक क्रांति ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। अब हम चौथीऔद्योगिक क्रांति में प्रवेश कर रहे हैं। ये दौर डाटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और ब्लॉकचेन का है।इन क्षेत्रों में अपने आप को आगे रखने के लिए दुनिया की बड़ी महाशक्तियों के बीच तकनीकी शीतयुद्ध (Technological Cold War) की शुरुआत हो चुकी है। यहां युद्ध बम बारूद से नहीं बल्कि इंफॉर्मेशन और इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी के स्तर परलड़ा जा रहा है।ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि जो देश इस रेस में आगे निकल जाएगा। वहआने वाले समय मेंन्यू वर्ल्ड ऑर्डर को शेप करने में एकबड़ी भूमिका निभाएगा। व्लादिमीर पुतिन ने तो यह तक कह दिया है कि जिस देश ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में नेतृत्व पा लिया उसे वर्ल्ड लीडर बनने से कोई नहीं रोक सकता। जंगी तोपों से नहीं अल्गोरिदम से लड़ा जाएगा नया युद्ध वे देश और संस्थाएं, जिन्होंने औद्योगिक क्रांति को विस्तार देने मेंबड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने ही दुनिया के बाकी देशों में अपने उपनिवेश और साम्राज्य बनाएं। अब चौथी औद्योगिक क्रांति में हम Artificial Intelligence Revolution के साक्षी बन रहे हैं। भविष्य में ग्लोबल आर्म रेस और साइबर अटैक में एआई एक मील का पत्थर साबित होने वाला है। एआई द्वारा संचालित ऑटोनॉमस हथियार किसी भी युद्ध की दिशा को बदलने की काबिलियत रखेंगे। गन पाउडर और न्यूक्लियर बम से होते हुए युद्ध का स्वरूप डाटा, अल्गोरिदम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आ गया है। ऐसे में अमेरिका, चीन, रूस सभी इस क्षेत्र में अपने आप को आगे रखने की होड़ में लग गए हैं। एलन टूरिंग की मशीन ने लिखी मॉर्डन वॉरफेयर की गाथा साल 2014 में बेनेडिक्ट कंबरबैच की 'The Imitation Game' नामक एक शानदार फिल्म रिलीज हुई। फिल्म में दूसरे विश्व युद्ध की कहानी को दिखाया गयाहै, जहां नाजी सेना ने एक खास तरह के Enigma कोड को बनाया था। इसकोड के जरिए जर्मन सैनिक एक दूसरे को बताते थे कि कब, कहां और कैसे हमला करना है इसके चलते ब्रिटेन को कई अहम मोर्चों पर युद्ध में हार का सामना करना पड़ रहा था।ब्रिटेन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतीथी कि Enigma को डिकोड कैसे किया जाए इस कोड को क्रैक करने के लिए कई लोगों की टीम बनाई गई। हालांकि, नतीजा कुछ खास नहीं निकला। इसी बीच एलन टूरिंग का नाम सामने आता है। Enigma पर स्टडी करते हुएउन्हेंपहली नजर में पता चल गयाकि कोड को क्रैक करना मानव मस्तिष्क (Human Brain)के बस की बात नहीं। वह नाजी सेना केEnigma कोड को क्रैक करने के लिए एक खास मशीन बनाते हैं।ये मशीनकोड की सभी संभावित पॉसिबिलिटी से गुजरकर उसको क्रैक कर लेतीहै। नतीजा यह निकलता है कि ब्रिटेन, जर्मनी के साथ हो रहे कई अहम मोर्चों पर युद्धों को जीतने लगता है।जर्मनीकी हार के पीछे काबड़ा कारण एलन टूरिंग द्वारा तैयार की गई यह मशीनथी। कंप्यूटेशन और इंफॉर्मेशन के दम पर विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति को हराया जा चुका था।एलन टूरिंग द्वारा तैयार की गई इस मशीन ने युद्ध के पारंपरिक स्वरूप को पूरी तरह बदल के रख दिया। खैर यह बात थी दूसरे विश्व युद्ध के समय की। वहीं आज के इस आधुनिक युग में जब इंफोर्मेशनही सब कुछहै। ऐसे में दुनिया के विकसित देश इस क्षेत्र में बाजी मारने के लिए उत्तम तकनीक केसूपरकंप्यूटर्स का निर्माण कर रहे हैं। यहीं पर सेमीकंडक्टर की उपयोगिता सामने निकलकर आती है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Mar 15, 2023, 21:30 IST
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