Siddharthnagar News: सिविवि और लुविवि के बीच हुआ अनुबंध, शोध और उच्च शिक्षा की बढ़ेगी गुणवत्ता

उच्च शिक्षा और शोध की गुणवत्ता को और अधिक बढ़ाने के लिए सिद्धार्थ विश्वविद्यालय और लुंबिनी विश्वविद्यालय के बीच अनुबंध हुआ है। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को लुंबिनी विश्वविद्यालय पहुंचा। यहां दोनों विश्वविद्यालयों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। अनुबंध होने के बाद अब दोनों विश्वविद्यालयों के शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं शिक्षण कार्य के लिए एक-दूसरे विश्वविद्यालय में जा सकेंगे। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु एवं लुंबिनी विश्वविद्यालय के बीच करीब डेढ़ साल पहले एमओयू पर वार्ता शुरू हुई थी। दोनों विश्वविद्यालयों के कुलसचिव ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करके उच्च शिक्षा की राह आसान कर दी। भाषा, पर्यटन एवं पुरातात्विक शोध के लिए छात्र-छात्राओं को अब सुविधा मिलेगी। इसके तहत हिंदी-नेपाली भाषा, साहित्य, प्राचीन इतिहास, संस्कृति, साहित्य, पर्यटन और धरोहर, संस्कृत बौद्ध दर्शन, अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध जैसे तमाम विषयों पर शिक्षण, शोध और शिक्षकों के ज्ञान के आदान-प्रदान पर समझौता हुआ है। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के प्रतिनिधिमंडल में विवि के कुलपति प्रो. हरि बहादुर श्रीवास्तव, कुलसचिव डॉ अमरेंद्र कुमार सिंह, अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. हरीश कुमार शर्मा, प्रो. मंजू मिश्रा, प्रो. सुशील तिवारी, डॉ नीता यादव, डॉ अविनाश प्रताप सिंह, वित्त विभाग से मनीष एवं कुलसचिव के सहायक सत्यम शामिल रहे। मुझे विश्वास है कि लंबे समय तक दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक गतिविधियों और शोध को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्य चलता रहेगा। दोनों देशों के शिक्षा के क्षेत्र में विशेष रूप से शोध के क्षेत्र में बहुत ही उत्थान की संभावना है। इसके पीछे स्पष्ट उद्देश्य है कि भारत और नेपाल के बीच बहुत घनिष्ठ सामाजिक सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। भारत और नेपाल दो देश जरूर हैं, लेकिन दोनों की आत्मा एक है। महात्मा गौतम बुद्ध ने भारत और नेपाल की आत्मा को एक करने में विशेष भूमिका का निर्वहन किया है, उनकी शिक्षा के विचार इस एकात्मकता को बढ़ाने में विशेष भूमिका का निर्वहन करेंगे। - प्रो. हरि बहादुर श्रीवास्तव, कुलपति, सिविवि महात्मा गौतम बुद्ध की जन्मस्थली और उनकी क्रीड़ास्थली के बीच एक लिखित समझौता नहीं, बल्कि विश्वविद्यालयों के रूप में गौतम बुद्ध की आत्मा का मिलन है। विश्वविद्यालय की स्थापना के पीछे बहुत स्पष्ट उद्देश्य था कि गौतम बुद्ध की जन्मस्थली को और भव्य स्वरूप दिया जाए। अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में स्थापित किया जाए, यहां सामाजिक और सांस्कृतिक संभावना है, जो शिक्षा के माध्यम से और विस्तार ले सकती है। विश्वविद्यालय ने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के साथ बुद्ध की शिक्षा और विस्तार के लिए समझौता किया है। इस समझौते के माध्यम से दोनों देशों के विद्यार्थी, शिक्षक एक-दूसरे के ज्ञान के आदान-प्रदान के माध्यम से भव्य विश्व की रचना में अपनी भूमिका का निर्माण कर सकते हैं। - प्रो. हृदय भट्टाचार्य, कुलपति, लुविवि दोनों विश्वविद्यालयों में बढ़ेगा विदेशी विद्यार्थियों का रुझान अनुबंध से दोनों विश्वविद्यालयों में शिक्षा का एक बेहतर प्लेटफार्म तैयार होगा। पाठ्यक्रम और शोध की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। इस करण दोनों विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्र-छात्राओं का रुझान बढ़ने की संभावना है। 1990 में लुंबिनी विश्वविद्यालय अपने स्थापना काल से ही महात्मा गौतम बुद्ध के साहित्य, संस्कृति और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विविध गतिविधियों और पाठ्यक्रमों का संचालन कर रहा है। विवि के 14 कैंपस हैं। मानविकी विषयों के साथ-साथ रोजगारपरक पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। टूरिज्म के कार्यक्रम भी शामिल हैं, ऐसे में इन पाठ्यक्रमों के जो विविध आयाम हैं, उसका सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के विद्यार्थी और शिक्षकों को भी लाभ मिल सकता है। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय 2015 में स्थापित हुआ है। इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत छह जिलों में 280 महाविद्यालय संबंध हैं, जिसमें लगभग 250000 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 23, 2023, 22:53 IST
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