UP: जान पर खेलकर बचाई 3 जिंदगियां...आग का गोला बना गया था फ्लैट, फायरकर्मियों के साहस को आप भी करेंगे सलाम

फ्लैट में तीन जिंदगियां मदद के लिए चिल्ला रही थीं। दरवाजे से बाहर आती लपटों की वजह से सीढि़यों से जा पाना आसान नहीं था इसलिए छत से रस्सी लगाई। दस फीट तक नीचे जाकर खिड़की में घुसे। पूरा फ्लैट आग का गोला बना हुआ था। बालकनी ही थी, जिससे सांस ले पा रहे थे। ऐसे में सिर पर पानी डाला। कपड़ों को भिगो दिया। इसके बाद फर्श पर लेटकर हाथों में पानी का पाइप लेकर आगे बढ़ते गए। 20 मिनट तक पानी डालने के बाद आग नियंत्रित हुई। पूरी तरह से आग बुझने में पाैन घंटा लगा। परिवार को सुरक्षित बचाकर खुशी महसूस हो रही है। यह कहना है कि रामकेश और पंकज का। वह अग्निशमन विभाग में कर्मचारी हैं। त्रिवेणी कैस्टल अपार्टमेंट में फंसे परिवार को दोनों कर्मचारियों के साहस से बचाया जा सका। रामकेश ने बताया कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि परिवार बच पाएगा। फिर हिम्मत दिखाते हुए रस्सी से बालकनी में गए। खिड़की को तोड़कर अंदर घुस गए। घर के अंदर फर्नीचर होने की वजह से आग भड़क रही थी। धुआं ही धुआं भरा हुआ था। इससे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। एक के बाद एक दो धमाके से डर भी लगा। मगर आग बुझाना जरूरी था। इसलिए कोई देरी नहीं की। साथी पंकज भी रस्सी से आ गए। पहले खिड़की वाले कमरे में पानी डाला। बाद में ड्राइंग रूम में गए। यहां पर सभी सामान जल रहा था। इस पर पानी डालना शुरू कर दिया। भूतल और छत पर माैजूद कर्मचारी पानी के पाइप दे रहे थे। इससे समय रहते आग बुझ गई। इससे परिवार की जान बच गई। थोड़ी सी देर हो जाती तो कुछ भी हो सकता था। परिवार के लोगों को बचाने में दोनों की हालत बिगड़ गई। इस पर अधिकारियों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। उनको आक्सीजन दी गई। इससे उनकी हालत में सुधार हो गया। सोमवार को भी दोनों को आराम दिया गया। अब अग्निशमन विभाग की टीम को परिवार और अपार्टमेंट के लोग सम्मानित करेंगे। रंजना अग्रवाल के कंधे में हो गया फ्रैक्चर राजीव की पत्नी रंजना की हालत ज्यादा खराब हो गई थी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनके सीधे कंधे में फ्रैक्चर हो गया है। वह आग बुझाने के दाैरान पानी में पैर फिसलने की वजह से गिर गई थीं। इससे चोट लगी। एक्सरे कराने पर परिजन को पता चला। इस पर चिकित्सक ने उन्हें बेड रेस्ट की सलाह दी है। वहीं बेटे, बहू और बेटी भी घटना के बाद से डरे हुए हैं। जब तक घर सही नहीं हो जाता, तब तक एक रिश्तेदार के घर में शरण ली है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 09, 2025, 10:10 IST
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