सिंधु के बाद चिनाब: पाकिस्तान की कमर तोड़ने को भारतीय कार्रवाई सुविचारित रणनीति, वर्तमान संकट शुरुआती बिंदु...

पहलगाम में आतंकी हमले, जिसको लेकर एनआईए की शुरुआती जांच में पाकिस्तान के हाथ होने के प्रमाण मिले हैं, की प्रतिक्रिया में एकदम से युद्ध छेड़ने के बजाय भारत ने सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद चिनाब का पानी रोकने, पाकिस्तान से आयात पर रोक लगाने, मेल व पार्सल सेवाओं को निलंबित करने और पाकिस्तानी जहाजों पर प्रतिबंध के अलावा भी पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान के खिलाफ जो कार्रवाइयां की हैं, वे सुविचारित रणनीति की ओर इशारा करती हैं। अब तो किशनगंगा बांध के जरिये झेलम नदी के पानी को रोकने पर भी विचार करने की खबरें मिल रही हैं। चिनाब का पानी रोकने का कदम तकनीकी तौर पर सिंधु जल संधि के निलंबन का हिस्सा है, जिसका पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर घातक असर हो सकता है। दरअसल ये कार्रवाइयां राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारत की दृढ़ता को तो दिखाती ही हैं, इसके जरिये पाकिस्तान को भी स्पष्ट संदेश दिया गया है कि उसे आतंकवाद को पनाह देने की कीमत चुकानी पड़ेगी। पाकिस्तान लगातार दसवें दिन नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सीजफायर का उल्लंघन कर भारत के धैर्य की परीक्षा ले रहा है, जो उसकी बौखलाहट को तो दर्शाता ही है, इससे यह भी पता चलता है कि बेहद अस्थिर परिस्थितियों में भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ सकता। एक ओर तो वह भारत को उकसाने के लिए शाहीन, गजनवी और अब्दाली जैसी मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है, तो दूसरी तरफ, उसके मंत्री और अधिकारी भारत पर परमाणु हमले की गीदड़भभकी दे रहे हैं। दरअसल, पहलगाम हमले के बाद भी नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा लगातार सीजफायर उल्लंघन और भारत को उकसाने वाली कार्रवाइयां इस बात का सुबूत हैं कि वह अपनी नीतियों में बदलाव लाना ही नहीं चाहता। पाकिस्तानी सेना ने 24 अप्रैल से शुरू हुए इन सीजफायर उल्लंघनों को कुपवाड़ा और बारामूला से लेकर पुंछ, नौशेरा और अखनूर तक फैला दिया है। भारतीय सेना ने हर बार मुंहतोड़ जवाब देते हुए यह संदेश भी दिया है कि वह अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगी। दुनिया भर में विफल राष्ट्र माने जाने वाले पाकिस्तान की सरकार और सेना की तरफ से जो बयान आ रहे हैं, वे स्वाभाविक ही उनकी जिहादी मानसिकता को दर्शाते हैं। ऐसे में, उनसे सही राह पर आने और आतंकवाद को पनाह देने की नीति छोड़ने की उम्मीद रखने का कोई अर्थ नहीं दिखता। ऐसे में, पाकिस्तान को सख्त जवाब देना जरूरी है, लेकिन भारत के लिए यह भी जरूरी है कि वह वर्तमान संकट को अपनी पाकिस्तान नीति के पुनर्निर्धारण के शुरुआती बिंदु की तरह देखे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 05, 2025, 08:15 IST
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