आज का शब्द: युत और हरिवंशराय बच्चन की कविता- वह पगध्वनि मेरी पहचानी !

'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- युत, जिसका अर्थ है- मिला हुआ, युक्त। प्रस्तुत है हरिवंशराय बच्चन की कविता- वह पगध्वनि मेरी पहचानी ! पहचानी वह पगध्वनि मेरी , वह पगध्वनि मेरी पहचानी ! 1- नन्दन वन में उगने वाली , मेंहदी जिन चरणों की लाली , बनकर भूपर आई, आली मैं उन तलवों से चिर परिचित मैं उन तलवों का चिर ज्ञानी ! वह पगध्वनि मेरी पहचानी ! 2- उषा ले अपनी अरुणाई, ले कर-किरणों की चतुराई , जिनमें जावक रचने आई , मैं उन चरणों का चिर प्रेमी, मैं उन चरणों का चिर ध्यानी ! वह पगध्वनि मेरी पहचानी ! 3- उन मृदु चरणों का चुम्बन कर , ऊसर भी हो उठता उर्वर , तृण कलि कुसुमों से जाता भर , मरुस्थल मधुबन बन लहराते , पाषाण पिघल होते पानी ! वह पगध्वनि मेरी पहचानी ! 4- उन चरणों की मंजुल ऊँगली पर नख-नक्षत्रों की अवली जीवन के पथ की ज्योति भली, जिसका अवलम्बन के जग ने सुख-सुषमा की नगरी जानी. वह पगध्वनि मेरी पहचानी ! 5- उन पद-पद्मों के प्रभ रजकण का अंजित कर मंत्रित अंजन खुलते कवि के चिर अंध-नयन, तम से आकर उर से मिलती स्वप्नों कि दुनिया की रानी. वह पगध्वनि मेरी पहचानी ! 6- उन सुंदर चरणों का अर्चन , करते आँसू से सिंधु नयन ! पद-रेखों में उच्छ्वास पवन -- देखा करता अंकित अपनी सौभाग्य सुरेखा कल्याणी ! वह पगध्वनि मेरी पहचानी ! 7- उन चल चरणों की कल छम-छम - से ही निकला था नाद प्रथम , गति से मादक तालों का क्रम , संगीत, जिसे सारे जग ने-- अपने सुख की भाषा मानी ! वह पगध्वनि मेरी पहचानी !

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 15, 2025, 17:37 IST
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