आज का शब्द: सीप और भारत भूषण की कविता- है आँख किसी की खुली
'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- सीप, जिसका अर्थ है- शंख आदि में कड़े आवरण में रहनेवाला एक जलजन्तु, सीपी। प्रस्तुत है भारत भूषण की कविता- है आँख किसी की खुली ये उर-सागर के सीप तुम्हें देता हूँ । ये उजले-उजले सीप तुम्हें देता हूँ । है दर्द-कीट ने युग-युग इन्हें बनाया आँसू के खारी पानी से नहलाया जब रह न सके ये मौन, स्वयं तिर आए भव तट पर काल तरंगों ने बिखराए है आँख किसी की खुली किसी की सोती खोजो, पा ही जाओगे कोई मोती ये उर सागर की सीप तुम्हें देता हूँ ये उजले-उजले सीप तुम्हें देता हूँ हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 14, 2025, 17:11 IST
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