आज का शब्द: मधुऋतु और हरिवंशराय बच्चन की कविता- कोई नहीं, कोई नहीं!

'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- मधुऋतु, जिसका अर्थ है- वसंत ऋतु, मधुकाल, प्रेम-संयोग काल। प्रस्तुत है हरिवंशराय बच्चन की कविता- कोई नहीं, कोई नहीं! कोई नहीं, कोई नहीं! यह भूमि है हाला-भरी, मधुपात्र-मधुबाला-भरी, ऐसा बुझा जो पा सके मेरे हृदय की प्यास को- कोई नहीं, कोई नहीं! सुनता, समझता है गगन, वन के विहंगों के वचन, ऐसा समझ जो पा सके मेरे हृदय- उच्छ्वास को- कोई नहीं, कोई नहीं! मधुऋतु समीरण चल पड़ा, वन ले नए पल्लव खड़ा, ऐसा फिरा जो ला सके मेरे लिए विश्वास को- कोई नहीं, कोई नहीं! हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 27, 2025, 17:36 IST
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