आज का शब्द: कामना और गोपाल सिंह नेपाली की कविता 'मुस्कुराती रही कामना'

हिंदी हैं हम शब्द-श्रृंखला में आज का शब्द है कामना जिसका अर्थ है1. हार्दिक इच्छा; मनोरथ। कवि गोपालसिंह नेपाली ने अपनी कविता में इस शब्द का प्रयोग किया है। तुम जलाकर दिये, मुँह छुपाते रहे, जगमगाती रही कल्पना रात जाती रही, भोर आती रही, मुसकुराती रही कामना चाँद घूँघट घटा का उठाता रहा द्वार घर का पवन खटखटाता रहा पास आते हुए तुम कहीं छुप गए गीत हमको पपीहा रटाता रहा तुम कहीं रह गये, हम कहीं रह गए, गुनगुनाती रही वेदना रात जाती रही, भोर आती रही, मुसकुराती रही कामना तुम न आए, हमें ही बुलाना पड़ा मंदिरों में सुबह-शाम जाना पड़ा लाख बातें कहीं मूर्तियाँ चुप रहीं बस तुम्हारे लिए सर झुकाता रहा प्यार लेकिन वहाँ एकतरफ़ा रहा, लौट आती रही प्रार्थना रात जाती रही, भोर आती रही, मुसकुराती रही कामना शाम को तुम सितारे सजाते चले रात को मुँह सुबह का दिखाते चले पर दिया प्यार का, काँपता रह गया तुम बुझाते चले, हम जलाते चले दुख यही है हमें तुम रहे सामने, पर न होता रहा सामना रात जाती रही, भोर आती रही, मुसकुराती रही कामना

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 25, 2022, 13:18 IST
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