आज का शब्द: झंकार और मैथिलीशरण गुप्त की कविता- इस शरीर की सकल शिराएँ हों तेरी तन्त्री के तार

'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- झंकार, जिसका अर्थ है- झाँझ या पायल के बजने का शब्द, झनकार, गूँज। प्रस्तुत है मैथिलीशरण गुप्त की कविता- इस शरीर की सकल शिराएँ हों तेरी तन्त्री के तार इस शरीर की सकल शिराएँ हों तेरी तन्त्री के तार, आघातों की क्या चिन्ता है, उठने दे ऊँची झंकार। नाचे नियति, प्रकृति सुर साधे, सब सुर हों सजीव, साकार, देश देश में, काल काल में उठे गमक गहरी गुंजार। कर प्रहार, हाँ, कर प्रहार तू मार नहीं यह तो है प्यार, प्यारे, और कहूँ क्या तुझसे, प्रस्तुत हूँ मैं, हूँ तैयार।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jan 17, 2023, 17:40 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »




आज का शब्द: झंकार और मैथिलीशरण गुप्त की कविता- इस शरीर की सकल शिराएँ हों तेरी तन्त्री के तार #Kavya #AajKaShabd #आजकाशब्द #Hindihanihum #हिंदीहैंहम #HindiApnoKiBhashaSapnoKiBhasha #हिंदीअपनोंकीभाषासपनोंकीभाषा #HindiHainHum #हिंदीहैंहम #HindiBhasha #हिंदीभाषा #SubahSamachar