आज का शब्द: चराचर और कुमार विश्वास की कविता- हो काल गति से परे चिरंतन
'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- चराचर, जिसका अर्थ है- चर और अचर, जड़ और चेतन, जगत, संसार। प्रस्तुत है कुमार विश्वास की कविता- हो काल गति से परे चिरंतन हो काल गति से परे चिरंतन, अभी यहाँ थे अभी यही हो। कभी धरा पर कभी गगन में, कभी कहाँ थे कभी कहीं हो। तुम्हारी राधा को भान है तुम, सकल चराचर में हो समाये। बस एक मेरा है भाग्य मोहन, कि जिसमें होकर भी तुम नहीं हो। न द्वारका में मिलें बिराजे, बिरज की गलियों में भी नहीं हो। न योगियों के हो ध्यान में तुम, अहम जड़े ज्ञान में नहीं हो। तुम्हें ये जग ढूँढता है मोहन, मगर इसे ये खबर नहीं है। बस एक मेरा है भाग्य मोहन, अगर कहीं हो तो तुम यही हो। हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 20, 2025, 16:25 IST
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