जीपीएम: जमीन के नाम पर हुए बड़े धोखाधड़ी प्रकरण ने सिस्टम की कार्यप्रणाली पर खड़े किए गंभीर सवाल, पढ़ें

गौरेला-पेण्ड्रा- मरवाही में पेण्ड्रा थाना क्षेत्र में जमीन के नाम पर हुए एक बड़े धोखाधड़ी प्रकरण ने पुलिस और प्रशासनिक सिस्टम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने दो वकील सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, लेकिन न्यायालय के आदेश के बावजूद चार में से तीन आरोपियों को जेल भेजने के बजाय जिला अस्पताल के वीआईपी रूम में भर्ती करा दिया गया मामले को लेकर जब हो हल्ला हुआ तो दूसरे दिन रशुखदार दो वकीलों को जेल भेज दिया गया,, वही अब पूरे मामले में अधिकारी कैमरे में कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे है। पूरा मामला ओडिशा के झारसुगुड़ा जिले के ब्रजराजनगर निवासी खीरोद कुमार काछी (51 वर्ष) से जुड़ा है,जो फिलहाल पेण्ड्रा के सरकारीपारा, पुरानी बस्ती में रहते हैं। खीरोद ने बताया कि उनकी मां प्रेमवती काछी को अपने पिता से बटवारे में पेण्ड्रा-गौरेला मुख्यमार्ग पर स्थित पंचम कॉलोनी के सामने की जमीन मिली थी। इसी जमीन का बंटवारा कराने के लिए उन्होंने 13 अप्रैल 2023 को ज्योतिपुर निवासी पेशे से अधिवक्ता अमीनुद्दीन अहमद खान के साथ 41 लाख रुपये में अनुबंध किया था। अनुबंध के तहत केवल 7 लाख रुपये का भुगतान किया गया, जबकि शेष 34 लाख रुपये नहीं दिए गए। आरोप है कि अधिवक्ता अमीनुद्दीन खान और गवाह अधिवक्ता शैलेन्द्र राठौर ने मिलीभगत कर एक कूटरचित मुख्तियारनामा तैयार कराया और दस्तावेजों में हेराफेरी कर खीरोद काछी की मां की जमीन का हिस्सा अपने नाम पर करा लिया। आरोपियों ने रजिस्ट्री कार्यालय में मात्र 1 लाख रुपये में 12 डिसमिल जमीन का सौदा दिखाया, जिसकी बाजार कीमत लगभग 10 लाख रुपये बताई जा रही है। पीड़ित का कहना है कि हिंदी भाषा की पूरी समझ न होने का फायदा उठाकर उनके साथ यह धोखाधड़ी की गई।पूरे षड्यंत्र में सुजीत कुमार काछी और विशाल कुमार की भी भूमिका सामने आई, जिन्होंने पीड़ित की मुलाकात मुख्य आरोपी से कराई थी। पुलिस जांच में दस्तावेजों की कूटरचना और धोखाधड़ी की पुष्टि होने के बाद चारों आरोपियों अधिवक्ता अमीनुद्दीन अहमद खान और शैलेन्द्र राठौर, व सुजीत कुमार काछी और विशाल कुमार को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया। जहा पर न्यायालय ने चारों आरोपियों को जेल भेजने का आदेश दिया।जिला अस्पताल में आरोपियों की मेडिकल जांच के दौरान डॉक्टर ने तीन आरोपियों को “अनफिट” बताते हुए जेल भेजने से रोक दिया। जबकि एक को जेल भेज दिया आरोपियों को पुलिस अस्पताल और जेल के बीच घूमाती रही, जबकि आरोपी अस्पताल परिसर में सामान्य रूप से टहलते दिखाई दिए। अंततः केवल सुजीत कुमार को जेल भेजा गया, जबकि अधिवक्ता अमीनुद्दीन खान, शैलेन्द्र राठौर और विशाल कुमार को “हाई ब्लड प्रेशर” का हवाला देकर जिला जिला अस्पताल के वीआईपी रूम में भर्ती करा दिया गया। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर सिस्टम की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आम जनता में चर्चा है कि क्या न्यायालय के आदेश को इस तरह ठेंगा दिखाना अब आम बात बन गई है।।।।हालांकि जब मामले को लेकर हो हल्ला होने के बाद दूसरे दिन सुबह दो वकीलों को जेल दाखिल कर दिया मामले में अधिकारियों ने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिए। वही जिले के पुलिस अधीक्षक सुरजन राम भगत ने बतलाया कि हम लोग मेडिकल कराने के बाद ही जेल दाखिल कर सकते है. डॉक्टर ने आरोपियों को अनफिट घोषित किया है.जैसे फिट होंगे जेल दाखिल किया जायेगा।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 05, 2025, 18:23 IST
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