Lakhimpur Kheri News: बिना स्टार्टर के चल रहे 629 नलकूप, 145 दिन में 127 मोटर फुंकीं

लखीमपुर खीरी। नलकूप विभाग में एक बड़ी अनदेखी का मामला सामने आया है। जिले में फसलों की सिंचाई के लिए संचालित 629 सरकारी नलकूपों में स्टार्टर ही नहीं लगे हैं। इस कारण 145 दिन में 127 मोटर फुंक चुकी हैं। इससे किसान तो परेशान हैं ही, साथ ही बार-बार फ्यूज उड़ने से ऑपरेटर को भी मुश्किल हो रही है। यह आंकड़ा अब तक ठीक कराए मोटर का है, जबकि हकीकत कुछ और है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि प्रत्येक मोटर मरम्मत पर 35 से 36 हजार रुपये खर्च होते हैं। ऐसे में अब तक 44 लाख से अधिक का बजट मरम्मत के नाम पर खर्च किया जा चुका है। सबसे अहम बात ऑपरेटरों को न तो पर्याप्त फ्यूज तार दिए जाते हैं और न ही कटआउट। इस कारण ऑपरेटर मेन स्विच में नंगे तार जोड़कर काम चलाने के लिए मजबूर हैं। वहीं बिना स्टार्टर नलकूप में जल्दी-जल्दी समस्याएं आती हैं, लेकिन जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं। नलकूप के मोटरों के लिए स्टार्टर होना जरूरी है। स्टार्टर एक विद्युत या यांत्रिक उपकरण है, जो मोटर को सुरक्षित चालू करने, नियंत्रित करने व बंद करने में मदद करता है। मोटर को शुरू करते वक्त ओवरलोडिंग से बचाता है। यह कॉन्टैक्टर (बिजली के स्विच) और ओवरलोड रिले (सुरक्षा उपकरण) से मिलकर बनता है। स्टार्टर मोटर के जीवनकाल को बढ़ाता है। ---------------तो कहां खर्च होता है करोड़ों का बजटविभागीय सूत्रों ने बताया कि हर साल प्रत्येक नलकूप के लिए मेन स्विच, फ्यूज, कट आउट या फिर अन्य कामों 45 हजार रुपये का बजट आता है। वैसे तो जिले में 827 नलकूप हैं, जिसमें 198 सीतापुर डिविजन में आते हैं। जिले के डिविजन में 629 हैं। प्रत्येक साल 45 हजार रुपये के हिसाब से 2.83 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, जबकि मोटर फुंकने का खर्चा अलग से जोड़ा जाता है। आखिरकार यह बजट कहां खर्च हो रहा है, यह एक बड़ा सवाल है। ---------------------बात रखने से कतराते हैं ऑपरेटर जिले में 629 नलकूप के सापेक्ष मात्र 107 ऑपरेटर हैं। एक ऑपरेटर के पास आठ से 10 या इससे अधिक नलकूपों की जिम्मेदारी है। हर नलकूप पर स्टार्टर, फ्यूज तार व कटआउट की एक बड़ी समस्या है, जो ऑपरेटरों के लिए चुनौती से कम नहीं है। अगर कोई ऑपरेटर अपनी समस्या लेकर विभाग पहुंचता है तो स्टाफ सीधे मुंह बात तक नहीं करता, खासकर बाबू वर्ग। ------------सिंचाई के लिए परेशान होते हैं किसान गर्मी सीजन में सबसे ज्यादा मोटर फुंकती हैं। अगर एक बार मोटर खराब हुई तो उसे ठीक होने में 10 से 20 दिन या फिर एक महीना भी लग जाता है। इस अवधि में किसानों को सिंचाई के लिए पानी तक नहीं मिलता। हालांकि, विभाग का दावा है कि मोटर फुंकने की सूचना मिलते ही तत्काल प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। ---------------स्टार्टर को लेकर मुख्यालय से मांग की जा चुकी है। फ्यूज व कट-आउट तो पर्याप्त दिए जाते हैं। किसानों को पर्याप्त सिंचाई का पानी मिले, इसके लिए पूरा ध्यान रखा जाता है। फिर भी अगर कहीं कोई दिक्कत है तो उसको दिखवाया जाएगा। -अमर नाथ मिश्रा, अधिशासी अभियंता, नलकूप

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 27, 2025, 22:08 IST
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