हुनरबाज बनेंगे पंजाब के कैदी: जुर्म की दुनिया को कहा अलविदा... जेलों में बंद 1016 कैदी ट्रेनिंग के लिए तैयार

एडवांस तकनीकी कोर्सों के साथ पंजाब सरकार ने जेलों में बद कैदियों के लिए सितंबर में स्किल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट लागू किया था, ताकि कौशल विकास के जरिये उन्हें मुख्य धारा में वापस लाया जा सके। इस प्रोजेक्ट को अच्छा रुझान मिला है जिसके चलते 11 जेलों के 1016 कैदी विभिन्न तकनीकी कोर्सों का प्रशिक्षण लेकर हुनरबाज बनने को तैयार हो गए हैं। संबंधित विभाग ने इस रिपोर्ट से पंजाब सरकार को अवगत करवाया है। पंजाब कारागार विभाग ने तकनीकी शिक्षा विभाग के सहयोग से सूबे की 11 जेलों में कैदियों के लिए 15 सितंबर को कौशल विकास पाठ्यक्रम शुरू किए थे। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत सेंट्रल जेल पटियाला, लुधियाना, फिरोजपुर, बठिंडा, फरीदकोट, अमृतसर, कपूरथला, गुरदासपुर, श्री गोइंदवाल साहिब, महिला जेल लुधियाना और बठिंडा में विभिन्न व्यवसायों वेल्डर, इलेक्टि्रशियन, कारपेंटर, बेकरी, सिलाई, कॉस्मेटोलॉजी, प्लंबर और कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामिंग सहायक से संबंधित व्यावसायिक कोर्स शुरू किए गए थे। पंजाब जेल विभाग के अधिकारियों ने सभी जेलों में कैदियों को इस प्रोजेक्ट का मकसद बताते हुए उन्हें इन कोर्सों का प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित किया। नतीजतन अभी तक इन जेलों के 1016 कैदियों ने विभिन्न विषयों में प्रशिक्षण के लिए पंजीकरण करवा लिया है। विषय विशेषज्ञ अब जेलों में इन कैदियों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है। जेलों में ही इनके लिए विशेष कक्षाएं लगाई जा रही हैं। प्रशिक्षण के बाद इन कैदियों को मान्यता प्राप्त संस्थान से प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। जेलों में कैदियों को यह प्रशिक्षण पांच श्रेणियों में दिया जाएगा। पहली श्रेणी में उन कैदियों को रखा जाएगा, जिनकी कुछ समय बाद रिहाई होने वाली है जबकि अन्य श्रेणियों में जेलों में लंबे समय तक रहने वाले विचाराधीन कैदी, इच्छुक कैदी, ऐसे कैदी जिन्होंने पहले कुछ कौशल हासिल किया हुआ है और पांचवीं श्रेणी में युवा अपराधी शामिल होंगे। कैदियों में बढ़ेगी रोजगार क्षमताएं इन विषयों के जरिये कैदियों को ऐसे विपणन योग्य कौशल से प्रशिक्षित किया जाएगा जिससे रिहाई के बाद उनकी रोजगार क्षमता बढ़े। इससे उनका व्यक्तिगत और आर्थिक विकास हो सकेगा ताकि अपराध की ओर लौटने की संभावना कम हो। इससे सामुदायिक सुरक्षा बढ़ेगी और समुदायों में अपराध गतिविधियों में कमी आएगी। कैदियों में वर्क फोर्स डेवलपमेंट के बाद उनका संपर्क उन उद्योगों से करवाया जाएगा जहां कार्यबल कम हैं, वहां इनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 31, 2025, 12:23 IST
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